गणेश विसर्जन की विधि, पूजा, मंत्र आदि - ganesh visarjan 2025 date,time, muhurat
गणेश विसर्जन एक महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है, जो गणेश चतुर्थी के उत्सव के अंत में किया जाता है। यह प्रक्रिया भगवान गणेश की मूर्ति को जल में विसर्जित करने की प्रथा है, जो उनके प्रतीकात्मक रूप से कैलाश पर्वत की ओर प्रस्थान का प्रतीक है। नीचे गणेश विसर्जन की विधि, मंत्र, पूजा और संबंधित जानकारी विस्तार से दी गई है:
गणेश विसर्जन की विधि
- विसर्जन से पहले घर या पूजा स्थल को साफ करें।
- गणेश जी की मूर्ति के पास पूजा सामग्री जैसे फूल, दूर्वा, मोदक, अगरबत्ती, कपूर, दीपक, चंदन, कुमकुम, और प्रसाद तैयार करें।
- विसर्जन के लिए एक जलाशय (नदी, तालाब, या समुद्र) का चयन करें। यदि जलाशय उपलब्ध न हो, तो घर पर एक बाल्टी या टब में पानी का उपयोग करें।
- पर्यावरण के प्रति जागरूक रहें और पर्यावरण-अनुकूल मूर्ति का उपयोग करें।
- स्नान और शुद्धिकरण: सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- गणेश जी की पूजा:
- गणेश जी की मूर्ति के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- मूर्ति को कुमकुम, चंदन, और फूल अर्पित करें।
- मोदक, लड्डू या अन्य मिठाई का भोग लगाएं।
- गणेश जी के मंत्रों का जाप करें (नीचे मंत्र दिए गए हैं)।
- आरती: गणेश जी की आरती करें। लोकप्रिय आरती है – “जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा…”।
- प्रार्थना करें कि गणेश जी अगले वर्ष फिर से पधारें।
- मूर्ति को जलाशय तक ले जाने से पहले, उसे सजाकर और फूलों से अलंकृत करके एक छोटी शोभायात्रा निकालें। इस दौरान ढोल-नगाड़े या भक्ति भजनों का उपयोग आम है।
- जलाशय पर पहुंचकर, गणेश जी को अंतिम प्रणाम करें और मंत्रों का उच्चारण करते हुए मूर्ति को जल में विसर्जित करें।
- विसर्जन के समय यह मंत्र बोला जाता है:
“गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ!” - मूर्ति को धीरे-धीरे जल में प्रवाहित करें और प्रार्थना करें कि गणेश जी आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें।
- जलाशय से लौटने के बाद घर में साफ-सफाई करें।
- प्रसाद को परिवार और आसपास के लोगों में बांटें।
- पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सुनिश्चित करें कि कोई प्लास्टिक या हानिकारक सामग्री जल में न छोड़ी जाए।
गणेश विसर्जन के मंत्र
विसर्जन के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का जाप किया जा सकता है:
- वक्रतुण्ड महाकाय मंत्र:
1 2 | वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ |
अर्थ: हे गणेश जी, आपकी कृपा से मेरे सभी कार्य निर्विघ्न पूर्ण हों।
- गणेश गायत्री मंत्र:
1 | ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात्॥ |
अर्थ: यह मंत्र गणेश जी की बुद्धि और शक्ति की प्राप्ति के लिए जप किया जाता है।
- विसर्जन मंत्र:
1 2 | मूषिकवाहन मोदकहस्त चामरकर्ण विलम्बित सूत्र। वामनरूप महेश्वरपुत्र विघ्नविनायक पाद नमस्ते॥ |
अर्थ: यह मंत्र गणेश जी की स्तुति और उनके प्रस्थान के लिए जप किया जाता है।
- संकट मोचन मंत्र:
1 | ॐ गं गणपतये नमो नमः। |
अर्थ: यह सरल मंत्र सभी संकटों को दूर करने के लिए जप किया जाता है।
पूजा सामग्री
- गणेश जी की मूर्ति
- फूल, माला, दूर्वा घास
- चंदन, कुमकुम, अक्षत (चावल)
- दीपक, अगरबत्ती, कपूर
- मोदक, लड्डू, फल, और अन्य प्रसाद
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण)
- जल, पात्र, और थाली
विसर्जन का समय
- गणेश चतुर्थी के बाद 1.5, 3, 5, 7, या 10वें दिन विसर्जन किया जाता है, जो अनंत चतुर्दशी (10वां दिन) तक हो सकता है।
- शुभ मुहूर्त के लिए पंचांग देखें, क्योंकि यह दिन और स्थान के अनुसार बदल सकता है।
पर्यावरण-अनुकूल विसर्जन
- पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए मिट्टी की मूर्ति का उपयोग करें, जो जल में आसानी से घुल जाए।
- रासायनिक रंगों या प्लास्टर ऑफ पेरिस (PoP) की मूर्तियों से बचें।
- यदि जलाशय में विसर्जन संभव न हो, तो घर पर एक टब में मूर्ति को विसर्जित करें और उस पानी को पौधों में डालें।
ध्यान देने योग्य बातें
- विसर्जन के दौरान शांति और भक्ति का भाव बनाए रखें।
- मूर्ति को जल में फेंकने के बजाय सम्मानपूर्वक प्रवाहित करें।
- स्थानीय नियमों और पर्यावरण दिशानिर्देशों का पालन करें।
- विसर्जन के बाद गणेश जी से अगले वर्ष पुनः आने की प्रार्थना करें।
यह विधि और मंत्र आपको गणेश विसर्जन को भक्ति और श्रद्धा के साथ संपन्न करने में मदद करेंगे। यदि आपको किसी विशिष्ट मंत्र या पूजा की और जानकारी चाहिए, तो बताएं!
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