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जंगल की वो रात.. (डरावनी कहानियां) - Horror Story in Hindi

 एक बार की बात है, तीन दोस्त—अमित, सोनिया और विक्रम—एक घने जंगल में कैंपिंग के लिए गए। जंगल के बारे में स्थानीय लोग चेतावनी देते थे कि वहाँ रात को कोई नहीं जाता, क्योंकि वहाँ एक पुरानी आत्मा भटकती है, जिसे “काली छाया” कहते हैं। लेकिन इन दोस्तों को ये सब बस कहानियाँ लगती थीं।



शाम को उन्होंने टेंट लगाया, आग जलाई और हँसी-मज़ाक करने लगे। रात गहराने लगी, और जंगल में सन्नाटा छा गया। सिर्फ़ झींगुरों की आवाज़ और हवा की साँय-साँय सुनाई दे रही थी। अचानक, सोनिया को लगा कि किसी ने टेंट के बाहर कुछ फुसफुसाया। उसने अमित और विक्रम को बताया, लेकिन उन्होंने इसे मज़ाक में टाल दिया।


रात के करीब 2 बजे, टेंट के बाहर से पत्तियों के खड़खड़ाने की आवाज़ आई, जैसे कोई धीरे-धीरे उनके चारों ओर चक्कर काट रहा हो। अमित ने हिम्मत करके टॉर्च ली और बाहर झाँका। वहाँ कुछ भी नहीं था, लेकिन टॉर्च की रोशनी में उसे पेड़ों के बीच एक काली, धुँधली सी आकृति दिखी, जो पलक झपकते गायब हो गई।


वह वापस टेंट में आया और डरते हुए दोस्तों को बताया। अब तीनों की हिम्मत जवाब दे रही थी। तभी, टेंट के बाहर से एक ठंडी, डरावनी हँसी गूँज उठी। सोनिया ने डर से चीखते हुए कहा, “हमें यहाँ से भागना चाहिए!” लेकिन जैसे ही वे टेंट से बाहर निकले, उनके सामने वही काली छाया खड़ी थी—लंबी, बिना चेहरे वाली, सिर्फ़ दो चमकती लाल आँखें।


विक्रम ने भागने की कोशिश की, लेकिन उसके पैर जैसे ज़मीन से चिपक गए। छाया ने धीमी, डरावनी आवाज़ में कहा, “तुमने मेरा जंगल छेड़ा… अब तुम मेरे हो।” अचानक, जंगल में कोहरा छा गया, और तीनों दोस्त एक-दूसरे से बिछड़ गए।


सुबह जब कुछ स्थानीय लोग जंगल में खोजबीन के लिए आए, उन्हें सिर्फ़ टेंट के अवशेष और तीनों के बैग मिले। पास के एक पेड़ पर खून से लिखा था, “काली छाया को मत छेड़ो।”


कहते हैं कि आज भी उस जंगल में रात को चीखें सुनाई देती हैं, और जो कोई वहाँ जाता है, वो कभी वापस नहीं आता।


क्या तुम उस जंगल में रात बिताने की हिम्मत करोगे? 😨

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