भारत में विभिन्न कृषि क्रांतियां: विस्तार से विवरण, हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, लाल क्रांति आदि
भारत में कृषि क्षेत्र में कई क्रांतियां हुई हैं, जो विभिन्न उत्पादों के उत्पादन को बढ़ाने और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से शुरू की गईं। ये क्रांतियां मुख्य रूप से 1960 के दशक से शुरू हुईं और विभिन्न क्षेत्रों जैसे अनाज, दूध, तिलहन, मांस आदि को लक्षित करती हैं। इनमें से अधिकांश का श्रेय प्रमुख वैज्ञानिकों और योजनाओं को जाता है। नीचे मैं प्रमुख क्रांतियों का विस्तार से वर्णन कर रहा हूं, जिसमें उनके उद्देश्य, इतिहास, प्रभाव और संबंधित व्यक्ति शामिल हैं। ये क्रांतियां भारत की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
1. हरित क्रांति (Green Revolution)
- क्या है?: यह क्रांति मुख्य रूप से अनाज उत्पादन (विशेष रूप से गेहूं और चावल) में वृद्धि पर केंद्रित थी। इसमें उच्च उपज वाली किस्मों (HYV seeds), रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और सिंचाई सुविधाओं का उपयोग किया गया।
- इतिहास: 1960 के दशक में शुरू हुई, जब भारत खाद्यान्न की कमी से जूझ रहा था। एम.एस. स्वामीनाथन को इसका पिता माना जाता है। नॉर्मन बोरलॉग की HYV बीजों की तकनीक को अपनाया गया। 1965-66 में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में लागू किया गया।
- प्रभाव: भारत को खाद्यान्न आयात से मुक्ति मिली। 1960 में 50 मिलियन टन अनाज उत्पादन 1970 तक दोगुना हो गया। लेकिन इससे मिट्टी की उर्वरता कम हुई और जल प्रदूषण बढ़ा।
- संबंधित व्यक्ति: एम.एस. स्वामीनाथन (भारत में)।
2. पीली क्रांति (Yellow Revolution)
- क्या है?: तिलहन उत्पादन (जैसे सरसों, सूरजमुखी, सोयाबीन आदि) में वृद्धि। इसका उद्देश्य खाद्य तेलों की आयात निर्भरता कम करना था।
- इतिहास: 1980 के दशक के अंत में शुरू हुई, विशेष रूप से 1986-87 में टेक्नोलॉजी मिशन ऑन ऑयलसीड्स के तहत। समीर सरदार को इसका पिता माना जाता है। गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में प्रमुख रूप से लागू।
- प्रभाव: 1980 में 10 मिलियन टन तिलहन उत्पादन 1990 तक 25 मिलियन टन पहुंच गया। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई, लेकिन अभी भी कुछ आयात होता है।
- संबंधित व्यक्ति: समीर सरदार।
3. श्वेत क्रांति (White Revolution)
- क्या है?: दूध और डेयरी उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि। इसे ऑपरेशन फ्लड के नाम से जाना जाता है।
- इतिहास: 1970 में शुरू हुई, वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) ने सहकारी समितियों (जैसे अमूल) के माध्यम से इसे चलाया। तीन चरणों में लागू: 1970-80 (दूध उत्पादन), 1981-85 (विस्तार), 1985-96 (आत्मनिर्भरता)।
- प्रभाव: भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना। 1970 में 20 मिलियन टन दूध उत्पादन 2020 तक 200 मिलियन टन से अधिक हो गया। इससे लाखों किसानों की आय बढ़ी।
- संबंधित व्यक्ति: वर्गीज कुरियन (दूध का पिता)।
4. लाल क्रांति (Red Revolution)
- क्या है?: मांस उत्पादन (विशेष रूप से मीट और टमाटर) में वृद्धि। इसमें पशुपालन और सब्जी उत्पादन शामिल है।
- इतिहास: 1980 के दशक में शुरू, विशाल तिवारी को इसका पिता माना जाता है। मांस निर्यात और टमाटर उत्पादन पर फोकस। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में प्रमुख।
- प्रभाव: मांस उत्पादन में 50% से अधिक वृद्धि हुई। भारत मीट निर्यातक बना, लेकिन पर्यावरणीय चिंताएं बढ़ीं (जैसे जल उपयोग)।
- संबंधित व्यक्ति: विशाल तिवारी।
5. नीली क्रांति (Blue Revolution)
- क्या है?: मत्स्य पालन और जलीय उत्पादन (मछली, झींगा आदि) में वृद्धि। इसे नील क्रांति भी कहते हैं।
- इतिहास: 1990 के दशक में शुरू, डॉ. अरुण कृष्णन और डॉ. हरकृष्ण सिंह को पिता माना जाता है। फिश फार्मर्स डेवलपमेंट एजेंसी (FFDA) के तहत। 2015 में केंद्र सरकार ने इसे पुनर्जीवित किया।
- प्रभाव: मछली उत्पादन 1960 के 0.75 मिलियन टन से 2020 तक 14 मिलियन टन पहुंच गया। भारत दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक है।
- संबंधित व्यक्ति: डॉ. हरकृष्ण सिंह।
6. गुलाबी क्रांति (Pink Revolution)
- क्या है?: झींगा उत्पादन, फार्मास्यूटिकल्स और प्याज उत्पादन में वृद्धि। कभी-कभी इसे मांस से भी जोड़ा जाता है।
- इतिहास: 1990 के दशक में शुरू, दुर्गेश पटेल को पिता माना जाता है। बायोटेक्नोलॉजी और निर्यात पर फोकस।
- प्रभाव: प्याज उत्पादन में वृद्धि से निर्यात बढ़ा। फार्मा क्षेत्र में भारत वैश्विक नेता बना।
- संबंधित व्यक्ति: दुर्गेश पटेल।
7. स्वर्ण क्रांति (Golden Revolution)
- क्या है?: बागवानी, फल, सब्जी और शहद उत्पादन में वृद्धि।
- इतिहास: 1991-2003 के बीच, निर्पख तुतेज को पिता माना जाता है। नेशनल हॉर्टिकल्चर मिशन के तहत।
- प्रभाव: फल उत्पादन 1990 के 28 मिलियन टन से 2020 तक 100 मिलियन टन पहुंच गया। रोजगार बढ़ा।
- संबंधित व्यक्ति: निर्पख तुतेज।
अन्य महत्वपूर्ण क्रांतियां (आदि):
- भूरी क्रांति (Brown Revolution): चमड़ा, कोको और कॉफी उत्पादन। 2000 के दशक में।
- सफेद चांदी क्रांति (Silver Revolution): अंडा और पोल्ट्री उत्पादन। इंदिरा गांधी को श्रेय।
- गोल क्रांति (Round Revolution): आलू उत्पादन।
- काली क्रांति (Black Revolution): पेट्रोलियम उत्पादन।
- धूसर क्रांति (Grey Revolution): उर्वरक उत्पादन।
- इंद्रधनुष क्रांति (Rainbow Revolution): सभी कृषि क्षेत्रों का समग्र विकास (2000 के बाद)।
ये क्रांतियां भारत को कृषि प्रधान देश से औद्योगिक रूप से उन्नत बनाने में सहायक रहीं, लेकिन चुनौतियां जैसे पर्यावरण क्षरण और असमान वितरण बनी हुई हैं। यदि किसी विशिष्ट क्रांति पर अधिक जानकारी चाहिए, तो बताएं!
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