श्री राधा रानी जी की आरती - Shree Radha Rani Ki Aarti
श्री राधा रानी जी की आरती निम्नलिखित है। यह आरती भक्तों द्वारा श्री राधा रानी की भक्ति और प्रेम के साथ की जाती है:
पहली आरती
राधा रानी की आरती (Radha Rani Ki Aarti In Hindi)
राधारानी तेरी आरती गाऊँ,
भानु दुलारी तेरी आरती गाऊँ,
आरती गाऊँ मैं तो वारि वारि जाऊँ,
आरती गाऊँ तोपे वारि वारि जाऊँ॥
कीरत लाली तेरी आरती गाऊँ,
श्यामा प्यारी तेरी आरती गाऊँ,
आरती गाऊँ मैं तो वारि वारि जाऊँ,
आरती गाऊँ तोपे वारि वारि जाऊँ॥
बरसाने वाली तेरी आरती गाऊँ,
राधारानी तेरी आरती गाऊँ।
बरसाने की ऊँची अटारी,
छवि श्यामा की लागे अति प्यारी,
श्रीजी छवि पे बलि बलि जाऊँ,
राधारानी तेरी आरती गाऊँ॥
लाडली तुम हो ब्रज की महारानी,
महिमा तुम्हरी जाये ना बखानी,
ब्रजधाम में वास मैं पाऊँ,
राधारानी तेरी आरती गाऊँ॥
कृष्ण हैं मिलते जिसके नाम से,
जपते हैं सब बड़े ही भाव से,
राधे राधे गा के तुमको मनाऊँ,
राधारानी तेरी आरती गाऊँ॥
राधा नाम की अर्जी लगाकर,
बरसाना मंदिर में आकर,
संतन संग राधा गुण गाऊँ,
राधारानी तेरी आरती गाऊँ॥
भोरी भोरी नवल किशोरी,
कारे कान्हा राधा गोरी,
चरणों में जिनके मैं शीश झुकाऊँ,
राधारानी तेरी आरती गाऊँ॥
दूसरी आरती
आरती श्री वृषभानुसुता की.. (Radha Ji Ki Aarti Lyrics)
आरती श्री वृषभानुसुता की,
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,
विमल विवेकविराग विकासिनि ।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,
सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि,
मधुर मनोहर मूरति सोहनि ।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि,
प्रिय अति सदा सखी ललिता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
संतत सेव्य सत मुनि जनकी,
आकर अमित दिव्यगुन गनकी ।
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी,
अति अमूल्य सम्पति समता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
। आरती श्री वृषभानुसुता की ।
कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि,
चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि ।
जगजननि जग दुखनिवारिणि,
आदि अनादिशक्ति विभुता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानुसुता की..॥
आरती श्री वृषभानुसुता की,
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
तीसरी आरती
श्री राधा रानी आरती
जयति जय राधा रानी, जयति जय राधा रानी।
ब्रज की प्यारी महारानी, सदा सलोनी स्याम प्यारी॥
जयति जय राधा रानी…
दोहा
श्री राधे रानी वृषभानु दुलारी,
कृष्ण प्रिया सदा सुखकारी।
नित्य विहारिणी, ब्रज की रानी,
सेवक की सुन लीजै बानी॥
चौपाई
आरती करूं मैं तुम्हारी, ब्रज की रानी सुखकारी।
सुंदर श्याम संग तुम प्यारी, गोकुल की मणि अति न्यारी॥
जयति जय राधा रानी…
तुम बिन कोई न सहारा, ब्रज में तुम हो आधार हमारा।
कृपा करो श्री राधे रानी, पूरण कर दो मन की बानी॥
जयति जय राधा रानी…
कुंज बिहारी की तुम प्यारी, श्याम प्रिया रस रसिक बिहारी।
नित्य नवल रस की तुम धारा, भक्तन के तुम सुख का प्यारा॥
जयति जय राधा रानी…
श्री राधे तुम शक्ति अपारा, तुम ही हो ब्रज की अधारा।
सबके हृदय में तुम बिराजी, भक्तों की लाज रखने वाली॥
जयति जय राधा रानी…
दोहा
श्री राधे रानी कृपा करो, भक्तन की पुकार सुनो।
कृष्ण संग नित्य विहार करो, सुख दे दो अपरंपार करो॥
आरती का समापन
जो कोई आरती गावे, श्री राधा रानी को ध्यावे।
सुख समृद्धि सदा सही पावे, श्री राधा चरणों में ठावे॥
जयति जय राधा रानी…
नोट: यह आरती भक्ति भाव से गाई जाती है। आप इसे श्री राधा रानी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाकर, फूल, धूप, और नैवेद्य के साथ गा सकते हैं।
यदि आप चाहें तो इसे और विस्तार से या किसी विशेष धुन में गाने के लिए मार्गदर्शन दे सकता हूँ। कृपया बताएं!
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