रविंद्र सिंह भाटी एक भारतीय राजनेता और युवा नेता हैं, जो राजस्थान के बाड़मेर जिले के शिव विधानसभा क्षेत्र से स्वतंत्र विधायक के रूप में 2023 से सेवा कर रहे हैं। उनकी लोकप्रियता, विशेष रूप से युवाओं और छात्रों के बीच, उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व, ओजस्वी भाषण शैली और छात्र हितों के लिए संघर्ष के कारण है। निम्नलिखित उनकी सम्पूर्ण जीवनी का विस्तृत विवरण है:
व्यक्तिगत जीवन
- नाम: रविंद्र सिंह भाटी
- जन्म: 3 दिसंबर 1997 (आयु: 27 वर्ष, 2025 तक)
- जन्म स्थान: दुधोड़ा, हरसानी, पंचायत समिति गडरारोड, बाड़मेर, राजस्थान
- जाति: राजपूत (हिंदू परिवार)
- पिता: शैतान सिंह भाटी (स्कूल शिक्षक)
- माता: अशोक कंवर (गृहिणी)
- पत्नी: धनिष्ठा कंवर
- बच्चे: दो बेटे – दिव्यराज सिंह भाटी और देवेंद्र सिंह भाटी
- वर्तमान निवास: जोधपुर, राजस्थान
- मोबाइल नंबर: 07742158035 (कुछ स्रोतों में उल्लेखित)
शिक्षा
रविंद्र सिंह भाटी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बाड़मेर के हरसानी गांव के आदर्श विद्या मंदिर और मयूर नोबल्स एकेडमी से पूरी की। इसके बाद उन्होंने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर से स्नातक (बी.ए.) की डिग्री प्राप्त की। बाद में, उन्होंने जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय (जेएनवीयू), जोधपुर से एलएलबी (कानून) की पढ़ाई पूरी की।
नोट: कुछ स्रोतों में उनके जन्म की तारीख 3 दिसंबर 1990 बताई गई है, जो गलत प्रतीत होती है, क्योंकि उनकी उम्र 2023 में 26 वर्ष बताई गई थी, जो 1997 के जन्म वर्ष के साथ संगत है।
राजनीतिक करियर
प्रारंभिक शुरुआत
रविंद्र सिंह भाटी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2016 में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में छात्र राजनीति से की। वे तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष कुणाल सिंह भाटी के साथ मिलकर छात्र हितों के लिए धरना-प्रदर्शन और आंदोलनों में सक्रिय रहे। उनकी सादगी, प्रभावशाली भाषण शैली और छात्रों की समस्याओं को समझने की क्षमता ने उन्हें जल्द ही लोकप्रिय बना दिया।
छात्रसंघ अध्यक्ष (2019-2022)
2019 में, भाटी ने जेएनवीयू छात्रसंघ अध्यक्ष पद के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से टिकट मांगा, लेकिन टिकट न मिलने पर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। उन्होंने 1294 वोटों से ऐतिहासिक जीत हासिल की और जेएनवीयू के 57 साल के इतिहास में पहले निर्दलीय छात्रसंघ अध्यक्ष बने। कोविड-19 महामारी के कारण 2019 से 2022 तक वे इस पद पर बने रहे। इस दौरान उन्होंने छात्रों की फीस, विश्वविद्यालय की जमीन पर अवैध कब्जे और अन्य मुद्दों पर आंदोलन किए, जिसके लिए वे कई बार जेल भी गए।
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023
2023 में, भाटी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होकर शिव विधानसभा क्षेत्र से टिकट मांगा। हालांकि, बीजेपी ने उन्हें टिकट देने के बजाय स्वरूप सिंह खारा को चुना। इससे निराश होकर भाटी ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और 79,495 वोटों के साथ 3950 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज और पांच बार के विधायक अमीन खान (55,264 वोट) और अन्य मजबूत उम्मीदवारों जैसे फतेह खान (75,545 वोट) और स्वरूप सिंह खारा (22,820 वोट) को हराया। यह जीत शिव विधानसभा क्षेत्र में पहली निर्दलीय जीत थी और भाटी राजस्थान के सबसे कम उम्र के विधायकों में से एक बने।
लोकसभा चुनाव 2024
2024 में, रविंद्र सिंह भाटी ने बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। हालांकि, बीजेपी ने कैलाश चौधरी और कांग्रेस ने उमेदाराम बेनीवाल को टिकट दिया। भाटी की लोकप्रियता के बावजूद, इस चुनाव में उनकी जीत का कोई स्पष्ट उल्लेख उपलब्ध स्रोतों में नहीं है। उनकी मजबूत फैन फॉलोइंग और युवाओं के बीच प्रभाव ने इस選挙 को रोचक बना दिया था।
प्रमुख उपलब्धियां
- छात्रसंघ अध्यक्ष: जेएनवीयू के इतिहास में पहले निर्दलीय अध्यक्ष (2019-2022)।
- निर्दलीय विधायक: 2023 में शिव विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय जीत, जो क्षेत्र की पहली ऐसी जीत थी।
- युवा प्रेरणा: कम उम्र में अपनी मेहनत और जुनून से राजस्थान की राजनीति में युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने।
- छात्र हितों के लिए संघर्ष: फीस, बेरोजगारी, और विश्वविद्यालय प्रशासन के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन, जिसमें 2021 में जयपुर विधानसभा घेराव शामिल था।
व्यक्तित्व और रुचियां
- भाषण शैली: रविंद्र सिंह भाटी अपनी ओजस्वी और सरल भाषण शैली के लिए प्रसिद्ध हैं। वे अपनी मातृभाषा राजस्थानी का उपयोग करते हैं, जो उन्हें जनता से जोड़ता है।
- रुचियां: नई जगहों पर घूमना, अच्छा भोजन, और लोगों से मिलना-जुलना।
- छवि: वे शांत, शालीन, और निष्पक्ष नेता के रूप में अपनी छवि बनाना चाहते हैं।
सामाजिक प्रभाव
भाटी का प्रभाव विशेष रूप से पश्चिमी राजस्थान में देखा जाता है। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके एक आह्वान पर हजारों युवा और छात्र उनके साथ जुड़ जाते हैं। वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं, और उनकी फैन फॉलोइंग उत्तर से दक्षिण भारत तक फैली हुई है।
विवाद और आलोचनाएं
हालांकि भाटी की छवि सकारात्मक है, उनकी आक्रामक शैली और बीजेपी से बगावत ने कुछ विवादों को जन्म दिया। बीजेपी में शामिल होने और फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने के उनके फैसले ने पार्टी के कुछ नेताओं के साथ तनाव पैदा किया।
बाहरी कड़ियाँ
निष्कर्ष
रविंद्र सिंह भाटी एक युवा और गतिशील नेता हैं, जिन्होंने कम उम्र में अपनी मेहनत, जुनून और जनता से जुड़ाव के दम पर राजस्थान की राजनीति में अपनी जगह बनाई। छात्र हितों के लिए उनके संघर्ष, निर्दलीय जीत, और युवाओं के बीच लोकप्रियता उन्हें एक उभरता हुआ सितारा बनाती है। उनकी यात्रा प्रेरणादायक है और भविष्य में वे राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभाव डाल सकते हैं।
नोट: कुछ स्रोतों में तारीखों और तथ्यों में असंगति है, जैसे जन्मतिथि (1990 बनाम 1997)। मैंने अधिक विश्वसनीय स्रोतों (विकिपीडिया और अन्य) के आधार पर 1997 को सही माना है। यदि आपको और जानकारी चाहिए या किसी विशिष्ट पहलू पर गहराई से जानना हो, तो बताएं!
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