भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें से कुछ ने अहिंसक आंदोलनों के माध्यम से योगदान दिया, तो कुछ ने सशस्त्र क्रांति के जरिए ब्रिटिश शासन को चुनौती दी। नीचे भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारियों की सूची दी गई है:
प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी (अहिंसक आंदोलन)
- भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता, जिन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा जाता है।
- अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों पर आधारित आंदोलन जैसे नमक सत्याग्रह (1930), असहयोग आंदोलन (1920-22), और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) का नेतृत्व किया।
- उनके विचारों ने जनता को एकजुट किया और ब्रिटिश शासन को कमजोर किया।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता और भारत के पहले प्रधानमंत्री।
- स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई और समाजवादी विचारधारा को बढ़ावा दिया।
- भारत छोड़ो आंदोलन और अन्य कांग्रेस आंदोलनों में महत्वपूर्ण योगदान।
- ‘नेताजी’ के नाम से प्रसिद्ध, उन्होंने आजाद हिंद फौज (INA) की स्थापना की।
- “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” का नारा दिया।
- सशस्त्र और अहिंसक दोनों तरीकों से स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।
- ‘पंजाब केसरी’ के नाम से जाने जाते हैं।
- स्वदेशी आंदोलन और साइमन कमीशन के विरोध में महत्वपूर्ण भूमिका।
- लाल-बाल-पाल तिकड़ी के सदस्य और आर्य समाज से प्रेरित।
- ‘लोकमान्य तिलक’ के नाम से प्रसिद्ध, उन्होंने “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” का नारा दिया।
- स्वदेशी आंदोलन और गरम दल के नेता।
- गणेश उत्सव और शिवाजी जयंती के माध्यम से जनजागरण किया।
- लाल-बाल-पाल तिकड़ी का हिस्सा, स्वदेशी आंदोलन में सक्रिय।
- पत्रकारिता और लेखन के माध्यम से राष्ट्रवादी विचारों का प्रचार किया।
- ‘लौह पुरुष’ के नाम से प्रसिद्ध, स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस के प्रमुख नेता।
- बारडोली सत्याग्रह (1928) का नेतृत्व किया और स्वतंत्र भारत में रियासतों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और प्रखर विद्वान।
- शिक्षा और एकता के लिए कार्य किया, स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने।
- झांसी की रानी, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना।
- ब्रिटिश सेना के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष किया और वीरगति को प्राप्त हुई।
- स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय और भारत के पहले राष्ट्रपति।
- गांधीवादी सिद्धांतों का पालन करते हुए बिहार में आंदोलनों का नेतृत्व किया।
प्रमुख क्रांतिकारी
- हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के प्रमुख सदस्य।
- सांडर्स हत्या (1928) और असेंबली बम कांड (1929) के लिए प्रसिद्ध।
- 23 मार्च 1931 को सुखदेव और राजगुरु के साथ फांसी दी गई।
- HSRA के नेता, काकोरी कांड (1925) में शामिल।
- “आजाद” नाम के अनुरूप कभी गिरफ्तार नहीं हुए और 1931 में इलाहाबाद में शहीद हुए।
- भगत सिंह के सहयोगी, HSRA के प्रमुख क्रांतिकारी।
- सांडर्स हत्या और अन्य क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल, 1931 में फांसी।
- भगत सिंह और सुखदेव के साथ सांडर्स हत्या में शामिल।
- 1931 में लाहौर में फांसी दी गई।
- काकोरी कांड (1925) के प्रमुख आयोजक और HSRA के संस्थापक।
- 1927 में फांसी दी गई। उनकी कविता “सरफरोशी की तमन्ना” प्रेरणा का स्रोत बनी।
- काकोरी कांड में शामिल, बिस्मिल के साथी और HSRA के सदस्य।
- 1927 में फांसी दी गई। हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक।
- असेंबली बम कांड में भगत सिंह के साथी।
- आजीवन कारावास की सजा काटी और स्वतंत्र भारत में सामाजिक कार्य किए।
- 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के प्रारंभिक नायक।
- बैरकपुर में ब्रिटिश अधिकारी पर हमला किया, जिसने विद्रोह की चिंगारी जलाई।
- हिंदू महासभा के नेता और क्रांतिकारी विचारक।
- ‘अभिनव भारत’ संगठन की स्थापना की और सशस्त्र क्रांति को प्रेरित किया।
- काला पानी की सजा काटी।
- बंगाल के युवा क्रांतिकारी, 1908 में मुजफ्फरपुर बम कांड में शामिल।
- मात्र 19 वर्ष की आयु में फांसी दी गई।
अन्य उल्लेखनीय स्वतंत्रता सेनानी
- सुरेंद्रनाथ बनर्जी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापकों में से एक, मॉडरेट नेता।
- गोपाल कृष्ण गोखले: मॉडरेट नेता, गांधीजी के गुरु, और सामाजिक सुधारक।
- सिस्टर निवेदिता: आयरिश मूल की समाजसेवी, स्वामी विवेकानंद की शिष्या, शिक्षा और स्वतंत्रता के लिए कार्य।
- मदन मोहन मालवीय: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक, कांग्रेस के नेता।
- उधम सिंह: जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने के लिए 1940 में लंदन में माइकल ओ’डायर की हत्या की।
निष्कर्ष
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इन नेताओं और क्रांतिकारियों ने विभिन्न दृष्टिकोणों से योगदान दिया। कुछ ने अहिंसा का मार्ग चुना, तो कुछ ने सशस्त्र क्रांति को अपनाया। इन सभी का एकमात्र लक्ष्य था – भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना। इनके बलिदान और प्रयासों के फलस्वरूप भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
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