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भगवान श्री कृष्ण की आरती - Bhgwan Shree Krishna Ki Aarti

यहाँ भगवान श्री कृष्ण की आरती प्रस्तुत है:



श्री कृष्ण आरती


जय श्री कृष्ण चंद्रा, जय हरि अनंत।
जय जय श्री राधे-कृष्ण, सदा करो कल्याण॥


नंदलाल, मुरलीधर, गिरधर गोपाल।
यशोदा के लाल प्रभु, राधा के सखा विशाल॥
जय श्री कृष्ण चंद्रा…॥


ब्रज में बंसी बाजे, गोकुल में रास रचे।
गोपियों के संग नाचे, भक्तों के दुख हर लें॥
जय श्री कृष्ण चंद्रा…॥


माखन चोर, मुरली वाला, मनमोहन घनश्याम।
वृंदावन के वासी, प्रभु करुणा के धाम॥
जय श्री कृष्ण चंद्रा…॥


द्वारिका के राजा, रुक्मिणी के प्यारे।
अर्जुन के सखा प्रभु, गीता के सिखाने वाले॥
जय श्री कृष्ण चंद्रा…॥


जो कोई शरण तिहारी, आए हरि के द्वार।
उसकी नैय्या पार करो, भवसागर से तार॥
जय श्री कृष्ण चंद्रा…॥


आरती श्री कृष्ण की, जो कोई नित गाए।
सुख-समृद्धि, शांति पाए, हरि दर्शन को जाए॥
जय श्री कृष्ण चंद्रा…॥


नोट: यह आरती भगवान श्री कृष्ण की भक्ति और प्रेम को व्यक्त करती है। इसे पूजा के समय गाया जाता है, विशेषकर जन्माष्टमी या अन्य कृष्ण भक्ति के अवसरों पर। यदि आप इसे गाना चाहते हैं, तो इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ गाएं।


यदि आप चाहें तो मैं इसे और विस्तार से समझा सकता हूँ या किसी विशेष पंक्ति का अर्थ बता सकता हूँ!

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